शिक्षा के मनोवैज्ञानिक आधार (Psychological Bases of Education) MAED 102



मनोविज्ञान का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अर्थ
Meaning of Psychology in Historical Perspective

इस इकाई में हमने मनोविज्ञान के विकास के क्रमिक ऐेतिहासिक परिदृश्य का अवलोकन किया कि दर्शनशास्त्र का अंग मनोविज्ञान पहले आत्मा का विज्ञान रहा है फिर यह मस्तिष्क के  विज्ञान के रूप में परिवर्तित होता हुआ चेतना के विज्ञान के रूप में परिवर्तित होकर अन्त में व्यवहार के विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। मनोविज्ञान के क्रमिक विकास का प्रस्तुतीकरण वुडवर्थ के कथन से अधिक स्पष्ट होता है। जिसमें उन्होंने साहित्यिक भाषा में कहा कि सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया फिर उनने अपने मन/मस्तिष्क का त्याग किया। उसके बाद उसने  अपनी चेतना का त्याग, आज वह व्यवहार की विधि को स्वीकार करता है

मनोविज्ञान का विकास: ऐतिहासिक परिदृश्य
इस इकाई में हमने मनोविज्ञान के विकास के क्रमिक ऐेतिहासिक परिदृश्य का अवलोकन करेंगे । यों तो मनोविज्ञान के जन्म के सम्बन्ध में यह कथन भी अतिश्योक्ति नहीं है कि मानव के विकास के साथ-साथ मनोविज्ञान का विकास भी होता रहा है परन्तु प्रारम्भ में उस की गति धीमी थी समय के साथ-साथ गति में त्वरण होता चला गया। हमारे ऋषियों ने वेद शास्त्रों में जिन सूत्रों को प्रस्तुत किया है वे मनोविज्ञान से बहुत कुछ सम्बन्धित रहे हैं। परन्तु एक अलग विषय के रूप में मनोविज्ञान विषय बहुत नया नहीं है मनोविज्ञान के विकास का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:-

आत्मा का विज्ञान (Science of Soul)
अरस्तु के समय में मनोविज्ञान ने दर्शनशास्त्र के एक अंग के रूप में जन्म लिया। धीरे-धीरे मनोविज्ञान ने अपने आपको दर्शनशास्त्र से पृथक कर लिया, मनोविज्ञान  (Psychology) शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के दो शब्दों से हुई है वे हैं- Psyche तथा logos जिनका अर्थ क्रमशः आत्मा तथा अध्ययन है। इस प्रकार प्रारम्भ में साइकोलॉजी का अर्थ था आत्मा का विज्ञान। आत्मा का विज्ञान मानने वाले प्रमुख दार्शनिक रहे हैं प्लेटो, अरस्तु,  डेकार्टे आदि। आत्मा के अस्तित्व और प्रमाणिकता पर लगातार प्रश्नों का प्रत्यक्ष और प्रमाणित उत्तर न मिलने के कारण, 16वीं शताब्दी में मनोविज्ञान का यह स्वरूप अस्वीकार कर दिया गया।

मस्तिष्क का विज्ञान (Science of Mind)
सत्रहवीं शताब्दी में मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा गया। इटली के मनोवैज्ञानिक पाम्पोनाजी (Pomponazzi)का नाम विशेष उल्लेखनीय रहा। आत्मा की तरह मन की प्रकृति और स्वरूप भी निश्चित नहीं किया जा सका इसलिए मस्तिष्क के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान को विद्वानों  का सहयोग नहीं मिल पाया।

चेतना का विज्ञान (Science of Consciousness)
मन के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान को पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण, मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहा जाने लगा। 19वीं शताब्दी  के प्रमुख मनोवैज्ञानिक वाइव्स(Vives)विलियन जेम्स (William James) विलियन वुन्ट (William Wount) तथा जेम्स सुली (James Sully) रहे। विलियम जैम्स ने 1892 में मनोविज्ञान को इस प्रकार परिभाषित किया था-

विलियम जेम्स‘‘ मनोविज्ञान की सर्वोत्तम परिभाषा यह हो सकती है कि यह चेतना की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन और व्याख्या करता है।
“The definition of Psychology may be best given ----- as the description and explanation of state of Consciousness as such.” William James.
बाद में मनोवैज्ञानिकों ने कहा कि चेतना एक अपूर्ण शब्द है, मेकडुगल ने तो चेतना को बुरा शब्द तक कह दिया था (Consciousness is a thoroughly bad word. It has been a great misfortune for psychology that the word has come into general use) तथा चेतन मन के अतिरिक्त अर्द्धचेतन तथा अचेतन मन भी होते हैं, जो कि मनुष्य की क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। तथा मनोविज्ञान में शारीरिक क्रियाओं का भी अध्ययन किया जाता है। अतः मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहना उचित नहीं है।

व्यवहार एवं अनुभूति का विज्ञान Science of Behaviour
20वीं शताब्दी के मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान कहना प्रारम्भ किया। इस काल में प्रमुख मनोवैज्ञानिकों के द्वारा मनोविज्ञान की प्रस्तुत की गई कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-
वुडवर्थ: ‘‘ मनोविज्ञान वातावरण से सम्बन्धित व्यक्ति की क्रियाओं का अध्ययन करता है।’’
“Psychology studies the Individual’s Action in relation to environment’’ Wood Worth.
गैरिसन तथा अन्य: ‘‘मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रेक्षित मानव व्यवहार से है।
Psychology is concerned with observable human behavior” -Garrison and others
मन:‘‘आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध मानव व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है। ’’ “Psychology today is concerned with observable human behavior” –Munn
क्रो तथा क्रो : ‘‘मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।’’
‘‘Psychology is the study of human behavior and human relationship.” - Crow and Crow

इस के अतिरिक्त चार्ल्स इ. स्कीनर,  मैक्डूगल,  जैम्स ड्रेवर, पिल्सबरी,प्रो. माथुर, प्रो. जलोटा, प्रो. भाटिया आदि की परिभाषाएं भी मनोविज्ञान के अर्थ स्वरूप तथा कार्यक्षेत्र की व्याख्या करने वाली परिभाषाएं हैं।
मनोविज्ञान के क्रमिक इतिहास के परिप्रेक्ष्य में वुडवर्थ के शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है:-
वुडवर्थ:‘‘सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया। फिर उसने अपने मन या मस्तिष्क का त्याग किया उसके बाद उसने अपनी चेतना त्यागी। अब वह व्यवहार की विधि को स्वीकार करता है।’’
First psychology lost its soul, then its mind, then it lost its consciousness, it still has behavior of sort.” WoodWorth.
इस प्रकार मनोविज्ञान के सम्प्रत्यय में जो परिवर्तन आए उन्हें कालक्रमानुसार इस प्रकार विभक्त किया जा सकता है:-
1.      आत्मा का विज्ञान  =15 वीं शताब्दी तक
2.      मस्तिष्क का विज्ञान=16 तथा 17वीं शताब्दी
3.      चेतना का विज्ञान= 18 तथा 19वीं शताब्दी
4.      व्यवहार का विज्ञान =20 शताब्दी से आज तक

मनोविज्ञान के विषय क्षेत्र
मनोविज्ञान के विषय क्षेत्र में रात दिन वृद्धि होती जा रही है। अतः मनेाविज्ञान के अध्ययन के लिए अनेक शाखाओं को विभाजित कर दिया गया है। यही नहीं लगातार नए- नए क्षेत्र भी बनते चले जा रहे हैं। प्रमुख क्षेत्र इस प्रकार हैं:-

                                i.            सामान्य मनोविज्ञान
                             ii.            असमान्य मनोविज्ञान
                           iii.            मानव मनोविज्ञान
                            iv.            पशु मनोविज्ञान
                              v.            बाल मनोविज्ञान
                            vi.            किशोर मनोविज्ञान
                         vii.            प्रौढ़ मनोविज्ञान
                       viii.            वृद्धावस्था का मनोविज्ञान
                            ix.            औद्योगिक मनोविज्ञान
                              x.            नैदानिक मनोविज्ञान
                            xi.            परामर्श मनोविज्ञान
                         xii.            मनोजैव विज्ञान
                       xiii.            व्यक्तित्व  मनोविज्ञान
                        xiv.            सैन्य मनोविज्ञान
                          xv.            प्रायोगिक मनोविज्ञान
                        xvi.            मनोमितिक (Psychometric)मनोविज्ञान
                     xvii.            अतीन्द्रीय मनोविज्ञान (Para Psychology)
                   xviii.            पर्यावरणीय मनोविज्ञान
                        xix.            स्वास्थ्य मनोविज्ञान
                          xx.            न्यायिक (Forensic) मनोविज्ञान
                        xxi.            खेल कूद (Sport) मनोविज्ञान
                     xxii.            राजनीतिक (Political) मनोविज्ञान
                   xxiii.            शैक्षिक मनोविज्ञान  (Educational)

शिक्षा मनोविज्ञान की विषयवस्तु: अधिगम, शिक्षण विधियाँ , अनुशासन, शिक्षण सहायक सामग्रियाँ , बाल मनोविज्ञान,  किशोर मनोविज्ञान, अध्यापकों का मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तितव, विद्यार्थियों का शारीरिक , मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, नैतिक आध्यात्मिक, बौद्धिक आदि विकास, अभिप्रेरणा, स्मरण तथा विस्मरण, रुचि अभिक्षमताएं, अभिवृत्तियां, अवधान, निर्देशन, समूह का मनोविज्ञान, अनुशासन, विशिष्ट बाल पालन, बाल अपराध, सृजनात्मकता, समायोजन, उत्प्रेरणा, मापन एवं मूल्यांकन, समस्या समाधान,कल्पना, अधिगम संवेग आदि का समावेश है। यह सूची अभी तक अपूर्ण है।

मनोविज्ञान के सम्प्रदाय (Schools of Psychology)
उन्नीसवीं शताब्दी के अंत एवं बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मनोविज्ञान के दर्शनशास्त्र से अलग होने की प्रक्रिया में मनोविज्ञान के कई सम्प्रदाय सामने आए। मनोविज्ञान के सम्प्रदाय से तात्पर्य मनोवैज्ञानिकों के ‘‘किसी ऐसे समूह से है जो मनोविज्ञान के अध्ययन के लिए एक समान विचारधारा तथा विधियों का अनुसरण करते हैं। संरचनावाद, कार्यवाद, व्यवहारवाद, गेस्टाल्टवाद तथा मनोविश्लेषणवाद कुछ ऐसे ही प्रमुख मनोवैज्ञानिक सम्प्रदाय रहे हैं। मनोविज्ञान के इन सम्प्रदायों ने व्यवहार के अध्ययन सम्बंधी विभिन्न प्रवृत्तियों को प्रभावित किया है। निम्नलिखित मनोविज्ञान के कुछ प्रमुख सम्प्रदाय हैं :-
                                i.            संरचनावाद (Structuralism)
                             ii.            प्रकार्यवाद (Functionalism)
                           iii.            व्यवहारवाद Behaviorism
                            iv.            समग्रवाद Gestaltism
                              v.            मनोविश्लेषणवाद Psychoanalysis
                            vi.            मानवतावादी Humanistic
                         vii.            संरचनावाद (Structuralism)

मनोविज्ञान के संरचनावाद सम्प्रदाय के प्रमुख प्रवर्तक विलियन वुण्ट नामक जर्मन मनोवैज्ञानिक थे। इन्होंने सन् 1879 में मन का व्यवस्थित ढंग से अध्ययन करने के उद्देश्य से लिपजिंग में विश्व की प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित करके मनोविज्ञान को एक स्वतंत्र विज्ञान का दर्जा दिलाया। वुण्ट ने प्रारम्भ मे संवेदना के ऊपर अध्ययन किये। उनके अध्ययनों के उपरान्त यूरोप तथा अमेरिका में अनेक मनोवैज्ञानिक प्रयोगशालाएं खुली। वुण्ट तथा उसके सहयोगियों ने अन्तदर्शन विधि का प्रयोग करके प्रयोगशालाओं में अध्ययन किए। वुण्ट तथा उनके अनुयायियों को संरचनावादी कहा जाता है । इसके अनुसार जटिल मानसिक अनुभव वास्तव में संरचनाएं होती हैं जो अनेक सरल मानसिक स्थितियों से मिलकर बनी होती हैं। ऐसा लगता है कि संरचनावादी रसायनशास्त्र में रासायनिक यौगिकों को रासायनिक तत्वों में विभक्त करके अध्ययन करने की प्रक्रिया से प्रभावित थे। उनका विचार था कि जटिल मानसिक अनुभवों को,  संरचनाओं को खोजकर मनोविज्ञान का अध्ययन किया जा सकता है। एडवर्ड, बेडफोर्ड तथा विचनर जैसे मनोवैज्ञानिक वुण्ट के प्रमुख सहयोगी थे।

आधुनिक समय में संरचनावाद की अत्यंत सीमित उपयोगिता है। प्रक्रिया के स्थान पर केवल संरचना पर ध्यान देना सम्भवतः संरचनावाद की सबसे बड़ी कमी है। अन्तर्दर्शन विधि में वस्तुनिष्ठता , विश्वसनीयता तथा वैधता की कमी के कारण संरचनावादियों के निष्कर्षों की प्रमाणिकता सिद्ध नहीं हो पाती है।

प्रकार्यवाद: (Functionalism)
मनोविज्ञान के प्रकार्यवाद सम्प्रदाय के प्रमुख प्रवर्तक विलियम जेम्स (William James) थे। जैम्स, डार्विन (Darwin) के विकासवाद सिद्धान्त (Theory of evolution) से प्रभावित थे तथा उन्होंने मन के अध्ययन में जीव विज्ञान की प्रवृत्ति को अपनाया। इनका मानना था कि व्यक्ति वातावरण के साथ समायोजन करने में मानसिक अनुभवों का उपयोग करता है। वस्तुतः प्रकार्यवादियों का मुख्य बल अधिगम प्रक्रिया तक केन्द्रित था। जॉन डीवी (John Dewey) नामक प्रसिद्ध अमरीकन दार्शनिक तथा शिक्षाशास्त्री प्रकार्यवादी सम्प्रदाय के प्रमुख समर्थक थे। जैम्स रोलैन्ड एन्जिल (James Roland Engil), जे.एन. कैटिल (J.N. Cattell) ई.एल. थार्नडाइक (E.L.  Thorndike) तथा आर.एस. वुडवर्थ (R.S. Woodworth) जैसे विचारकों ने प्रकार्यवादी विचारधारा को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। इस सम्प्रदाय में पाठ्यक्रम की विषयवस्तु शिक्षण विधियाँ  तथा मापन तथा मूल्यांकन प्रक्रिया की कार्यपरकता पर अधिक बल दिया। प्रश्नावली, अनुसूची तथा मानसिक परीक्षण जैसे वस्तुनिष्ठ उपकरण प्रकार्यवाद की ही देन हैं।

व्यवहारवाद Behaviorism
बीसवीं शताब्दी के दूसरे एवं तीसरे दशक में मनोविज्ञान के व्यवहारवादी सम्प्रदाय का विकास हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकन मनोवैज्ञानिकों के एक समूह ने मनोविज्ञान का  व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया। जॉन बी. वाटसन (John B. Watson, 1878-1956) इस समूह के प्रवर्तक थे। व्यवहार की विचारधारा को मानने के कारण इस समूह के मनोवैज्ञानिकों को व्यवहारवादी कहा जाता है। व्यवहारवादियों ने क्लार्क हल (Clark Hull) एडवर्ड टालमैन (Edward Tolman) बी.एफ. स्क्रिन (B.F. Skinner) जैसे मनोवैज्ञानिकों पर अमिट छाप छोड़ी। व्यवहारवादियों ने वृद्धि तथा विकास की प्रक्रिया में वंशानुक्रम की भूमिका को पूर्णरूपेण नकारते हुए केवल वातावरण के महत्व को स्वीकार किया।
अधिगम अभिप्रेरणा तथा पुनर्बलन पर जोर देना व्यवहारवादियों की एक प्रमुख विशेषता थी। शिक्षण-अधिगम के क्षेत्र में व्यवहारवाद का व्यापक प्रभाव पड़ा।

समग्रवाद Gestaltism
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जर्मनी में मनोविज्ञान के समग्रवाद नामक सम्प्रदाय का उद्भव हुआ। गेस्टाल्ट (Gestalt) जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ पूर्णाकार (pattern) अथवा व्यवस्थित समग्र (Organized Whole) है। मैक्स वर्दीमर  (Max Wertheimer, 1880-1943) कुर्ट कोफ्का (Kurt Kafka, 1886-1941) कुछ प्रमुख गेस्टाल्टवादी थे। इनके अनुसार अनुभव तथा व्यवहार को अलग-अलग हिस्सों में करके अध्ययन नहीं किया जा सकता। गेस्टाल्टवादियों के अनुसार अवयवों की तुलना में सम्पर्क अनुभव अधिक महत्वपूर्ण होता है। इन्होंने सीखने में अन्तर्दृष्टि (Insight) की भूमिका पर अधिक जोर दिया। गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के अनुसार प्राणी  किसी भी वस्तु या परिस्थिति को समग्र रूप में देखता है न कि इसमें सम्मिलित तत्वों के समूह के रूप में। यही कारण है कि किसी समस्या के समाधान के समय अन्तर्दृष्टि की प्रमुख भूमिका रहती है। गेस्टाल्टवादियों के अनुसार समस्या को सग्रम रूप में देखेते समय उसके विभिन्न अंगों के बीच के अनोखे सम्बन्धों एवं अन्तर्क्रियाओं को पहचानना ही अन्तर्दृष्टि है। उनके अनुसार यह अन्तर्दृष्टि ही समस्या का तत्काल समाधान प्रस्तुत करती है।
अन्तदृष्टि के अभाव मे जीवधारी समस्या का समाधान करने में असफल रहता है। गेस्टाल्टवादी सीखने के उद्देश्यों तथा अभिप्रेरणा पर विशेष जोर देते हैं। व्यवस्थित पाठ्यक्रम निर्माण,  अन्तर्विषयी अभिगम, शिक्षा के उद्देश्यों तथा अभिप्रेरणा पर बल गेस्टाल्टवाद की देन हैं।

मनोविश्लेषणवाद Psychoanalysis:
मनोविज्ञान के अन्य सम्प्रदायों से मनोविश्लेषणवाद का प्रारम्भ बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ में हुआ। सिगमण्ड फ्रायड (Sigmund Freud, 1856-1939) इसके जनक थे। इन्होंने अचेतन मानसिक प्रक्रियाओं (Unconscious mental processes) पर जोर देते हुए कहा कि द्वन्द्वों (conflicts) तथा मानसिक व्यतिक्रम (Mental Disorder) के अधिकांश मुख्य कारण अचेतन में छिपे रहते हैं। अचेतन के अध्ययन के लिए फ्रायड ने मनोविश्लेषण की एक नई प्रविधि का अविष्कार किया जो मुख्यतः मुक्त साहचर्य वाले विचार प्रवाह (Freely associated stream of thoughts) तथा स्वप्न विश्लेषण (Dream analysis) पर आधारित है। काफी लम्बे समय तक मनोविश्लेषणवाद का बोलबाला, रहा एवं इस दिशा में अत्यन्त महत्वपूर्ण अध्ययन किये गये । अल्फ्रेड एडलर तथा कार्ल जुंग ने कुछ संशोधनों के साथ परम्परागत मनोविश्लेषणवाद के विचारों को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान किया। मनोचिकित्सा से अधिक सम्बन्धित होने के कारण मनोविश्लेषणवाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष योग्दान नहीं दिया। मनोविश्लेषणवाद बच्चों के विकास की अवस्थाओं को समझने में  महत्वपूर्ण ज्ञान प्रस्तुत करता है।

मानवतावादी Humanistic
वर्तमान समय में मनोविज्ञान के अध्ययन में मानवतावादी दृष्टिकोण (Humanistic View) तथा संज्ञानात्मक दृष्टिकोण (Cognitive view) पर अधिक जोर दिया जाता है। मॉस्लो, रोजर्स, आलपोर्ट आदि मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान में मानवतावादी दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया। मानवतावादी विचारधारा में मानव को यन्त्रवत नहीं माना जाता हैं वरन उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने वाले तथा वातावरण के साथ अनुकूलन करने में समर्थ जीवधारी के रूप में स्वीकार किया जाता है। इस विचारधारा में व्यक्तित्व के महत्व को स्वीकार करते हुए स्वतंन्त्र इच्छा, वैयक्तिक विभिन्नता एवं व्यक्तिगत मूल्यों के अस्तित्व पर जोर दिया जाता है। मनोविज्ञान का संज्ञानात्मक दृष्टिकोण (Cognitive view) वातावरण के साथ अनुकूलन में संज्ञानात्मक योग्यताओं तथा प्रक्रियाओं के अध्ययन पर जोर देता है। एडवर्ड टालमैन (Edward Tolman) तथा ज्याँ प्याजे (Jean Piaget) जैसे संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिकों के द्वारा इस दिशा में अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य किया गया है।

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